ज्येष्ठ तुझा पुत्र मला
          ज्येष्ठ तुझा पुत्र मला दे दशरथा
यज्ञ-रक्षणास योग्य तोचि सर्वथा
मायावी रात्रिंचर
कष्टविती मजसि फार
कैकवार करुन यज्ञ नाहि सांगता
शाप कसा देऊं मी?
दीक्षित तो नित्य क्षमी
सोडतोंच तो प्रदेश याग मोडतां
आरंभितां फिरुन यज्ञ
आणिति ते सतत विघ्न
प्रकटतात मंडपांत कुंड पेटतां
वेदीवर रक्तमांस
फेंकतात ते नृशंस
नाचतात स्वैर सुखें मंत्र थांबतां
बालवीर राम तुझा
देवो त्यां घोर सजा
सान जरी बाळ तुझा थोर योग्यता
शंकित कां होसि नृपा?
मुनि मागे राजकृपा
बावरसी काय असा शब्द पाळतां?
प्राणांहुन वचनिं प्रीत
रघुवंशी हीच रीत
दाखवि बघ राम स्वतः पूर्ण सिद्धता
कौसल्ये, रडसि काय?
भीरु कशी वीरमाय?
उभय वंश धन्य रणीं पुत्र रंगतां
मारिच तो, तो सुबाहु
राक्षस ते दीर्घबाहु
ठेवतील शस्त्र पुढें राम पाहतां
श्रीरामा, तूंच मान
घेइ तुझे चापबाण
येतो तर येऊं दे अनुज मागुता
          यज्ञ-रक्षणास योग्य तोचि सर्वथा
मायावी रात्रिंचर
कष्टविती मजसि फार
कैकवार करुन यज्ञ नाहि सांगता
शाप कसा देऊं मी?
दीक्षित तो नित्य क्षमी
सोडतोंच तो प्रदेश याग मोडतां
आरंभितां फिरुन यज्ञ
आणिति ते सतत विघ्न
प्रकटतात मंडपांत कुंड पेटतां
वेदीवर रक्तमांस
फेंकतात ते नृशंस
नाचतात स्वैर सुखें मंत्र थांबतां
बालवीर राम तुझा
देवो त्यां घोर सजा
सान जरी बाळ तुझा थोर योग्यता
शंकित कां होसि नृपा?
मुनि मागे राजकृपा
बावरसी काय असा शब्द पाळतां?
प्राणांहुन वचनिं प्रीत
रघुवंशी हीच रीत
दाखवि बघ राम स्वतः पूर्ण सिद्धता
कौसल्ये, रडसि काय?
भीरु कशी वीरमाय?
उभय वंश धन्य रणीं पुत्र रंगतां
मारिच तो, तो सुबाहु
राक्षस ते दीर्घबाहु
ठेवतील शस्त्र पुढें राम पाहतां
श्रीरामा, तूंच मान
घेइ तुझे चापबाण
येतो तर येऊं दे अनुज मागुता
| गीत | - | ग. दि. माडगूळकर | 
| संगीत | - | सुधीर फडके | 
| स्वराविष्कार | - | ∙ सुधीर फडके ∙ आकाशवाणी प्रथम प्रसारण ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) | 
| राग / आधार राग | - | पूरिया धनाश्री | 
| गीत प्रकार | - | गीतरामायण, राम निरंजन | 
| टीप - • गीतरामायण. • प्रथम प्रसारण दिनांक- २०/५/१९५५ • आकाशवाणीवरील प्रथम प्रसारण स्वर- राम फाटक. | 
| चाप | - | धनुष्य. | 
| दीक्षित | - | ज्याने यज्ञ केला आहे तो व त्याची संतती. | 
| नृप, नृपति, नृपाळ(ल) | - | राजा. | 
| नृशंस | - | क्रूर. | 
| भीरू | - | भित्रा. | 
| मारिच | - | एक राक्षस. ताटिकेचा (त्राटिका) ज्येष्ठ पुत्र. सुबाहु बंधु. याने सुवर्णमृगाचे रूप धारण करून रामास दूर नेले आणि मग रावणाने सीता उचलून नेली. | 
| याग | - | पूजा. | 
| रात्रिंचर | - | राक्षस / चोर. | 
| वेदि | - | उंच आसन / ओटा. | 
| सुबाहु | - | एक राक्षस. ताटिकेचा (त्राटिका) ज्येष्ठ पुत्र. मारीच बंधु. | 
| सांगता | - | पूर्णता. | 
| सान | - | लहान. | 
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