कमला जनांचे घेई
कमला जनांचे घेई बलिदान ।
विभवानुभूता जगि जरि दिसे मान ॥
मांगल्य आहे नरकी धनाचें ।
गति गोड चांचल्य योगे मिळे मान ॥
विभवानुभूता जगि जरि दिसे मान ॥
मांगल्य आहे नरकी धनाचें ।
गति गोड चांचल्य योगे मिळे मान ॥
गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | अनंत दामले |
नाटक | - | हाच मुलाचा बाप |
राग | - | शुद्ध कल्याण |
ताल | - | झपताल |
चाल | - | धनधान तेरो |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |