करीन यदुमनीं सदना
करीन यदुमनीं सदना, रुचिर सदन पति-मन सतींना ॥
अशुभ मणीमय भुवन अबलांना, जरी नाथ रमेना ॥
अशुभ मणीमय भुवन अबलांना, जरी नाथ रमेना ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
| स्वराविष्कार | - | ∙ माणिक वर्मा ∙ बालगंधर्व ∙ पं. कुमार गंधर्व ∙ मधुवंती दांडेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | स्वयंवर |
| राग / आधार राग | - | जंगला |
| ताल | - | पंजाबी |
| चाल | - | काहेरी ननदिया |
| गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत |
| रुचिर | - | मोहक, सुंदर. |
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माणिक वर्मा