कशि नाचे छमाछ्म्
कशि नाचे छमाछम्, मत्त मयूरी ।
दरीदरी झंकारित करि ही मदनधनूची दोरी ॥
निर्झर खळखळ आज घुमवि पखवाज
करित हा वनवात मुरलिची साथ
वदत महेश्वर, "अशि न पाहिली, नर्तन कुशल किशोरी" ॥
दरीदरी झंकारित करि ही मदनधनूची दोरी ॥
निर्झर खळखळ आज घुमवि पखवाज
करित हा वनवात मुरलिची साथ
वदत महेश्वर, "अशि न पाहिली, नर्तन कुशल किशोरी" ॥
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | वसंत देसाई |
स्वर | - | पं. राम मराठे |
नाटक | - | जय जय गौरीशंकर |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
मत्त | - | माजलेला, दांडगा. |