कटु योजना ही
कटु योजना ही । विधिची ।
अजि साहुं कैसा? । मज बल ना ! ॥
रतिसम कांता । जरि संसारीं ।
परि सुख नाहीं । हीच दुष्ट घटना ॥
अजि साहुं कैसा? । मज बल ना ! ॥
रतिसम कांता । जरि संसारीं ।
परि सुख नाहीं । हीच दुष्ट घटना ॥
गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
संगीत | - | मा. कृष्णराव |
स्वर | - | प्रकाश घांग्रेकर |
नाटक | - | संगीत अमृतसिद्धी |
राग | - | शंकरा |
ताल | - | त्रिताल |
चाल | - | जिया में बसेरा |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |
रति | - | मदनाची पत्नी / सुंदर स्त्री. |
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