लागे हृदयीं हुरहुर
लागे हृदयीं हुरहुर । अजि ।
सुखविषय गमति नच मज सुखकर ॥
कांहीं सुचेना । कांही रुचेना ।
राहि कुठें स्थिर मति नच पळभर ॥
सुखविषय गमति नच मज सुखकर ॥
कांहीं सुचेना । कांही रुचेना ।
राहि कुठें स्थिर मति नच पळभर ॥
| गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
| संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
| स्वर | - | स्वर कोणाचा(चे) माहित असल्यास संपर्क करा. |
| नाटक | - | एकच प्याला |
| राग / आधार राग | - | यमन |
| ताल | - | त्रिवट |
| चाल | - | येरी आली पिया बिना |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| मति | - | बुद्धी / विचार. |
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