मजवरी तयांचें प्रेम
मजवरी तयांचें प्रेम खरें ।
जें पहिलें जडलें तें उरे ॥
कसासि लावुनि अंत पाहिला ।
परि न जराही ओसरे ॥
संशय-पटला दूर सारितां ।
प्रकाशेल कीं मग पुरें ॥
जें पहिलें जडलें तें उरे ॥
कसासि लावुनि अंत पाहिला ।
परि न जराही ओसरे ॥
संशय-पटला दूर सारितां ।
प्रकाशेल कीं मग पुरें ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | आशा खाडिलकर |
| नाटक | - | संशयकल्लोळ |
| राग / आधार राग | - | पहाडी |
| चाल | - | मेरा चित्त |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












आशा खाडिलकर