मम मनीं कृष्ण सखा
          मम मनीं कृष्णसखा रमला;
नच रणीं आप्तवधा सजला ॥
नवल नाहीं, नच दृश्य इतरां झाला;
दहन झालें; शिशुपाल समजे भोळा ॥
          नच रणीं आप्तवधा सजला ॥
नवल नाहीं, नच दृश्य इतरां झाला;
दहन झालें; शिशुपाल समजे भोळा ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर | 
| संगीत | - | भास्करबुवा बखले | 
| स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ आशा खाडिलकर ∙ इंदिराबाई खाडिलकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) | 
| नाटक | - | स्वयंवर | 
| राग / आधार राग | - | कालिंगडा | 
| ताल | - | दीपचंदी | 
| चाल | - | रात लढी | 
| गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, नाट्यसंगीत, मना तुझे मनोगत | 
| शिशुपाल | - | श्रीकृष्णाचा मामेभाऊ. रुक्मिणीचा विवाह याच्याशी करावा असा भीष्मकाचा (तिच्या वडिलांचा) बेत होता. | 
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 दाद द्या अन् शुद्ध व्हा !
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