मानस का बधिरावें हें
मानस का बधिरावें हें? । बघतसे खिन्न जगता ॥
गृहशृंखला या । दृढ बद्ध पाया । बल ना भेद तया होता ॥
गृहशृंखला या । दृढ बद्ध पाया । बल ना भेद तया होता ॥
| गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
| संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
| स्वर | - | बालगंधर्व |
| नाटक | - | एकच प्याला |
| राग / आधार राग | - | मांड |
| ताल | - | दादरा |
| चाल | - | गोकुलमा लई |
| गीत प्रकार | - | मना तुझे मनोगत, नाट्यसंगीत |
| मानस | - | मन / चित्त / मानस सरोवर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












बालगंधर्व