मी मानापमाना नच मानतो
मी मानापमाना नच मानतो ।
ना जिवासी तो हो संग ॥
कधी जळाच्या तळी न रिघती
दिनरजनीचे रंग ॥
ना जिवासी तो हो संग ॥
कधी जळाच्या तळी न रिघती
दिनरजनीचे रंग ॥
गीत | - | कुसुमाग्रज |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | ययाति आणि देवयानी |
राग | - | बिहागडा |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |
रिघणे | - | शिरणे / प्रवेशणे. |
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