मी न वंचक दैवगती परि
मी न वंचक दैवगती परि । प्रेमघाता तीच कारण ॥
लोकीं या स्वजनांतरीं मज मानिलें । परि काय मानी वैजयंती प्रेमी बाला ? ॥
लोकीं या स्वजनांतरीं मज मानिलें । परि काय मानी वैजयंती प्रेमी बाला ? ॥
गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वर | - | विनायकबुवा पटवर्धन |
नाटक | - | विधिलिखित |
राग | - | जयजयवंती |
ताल | - | रूपक |
चाल | - | दीनानाथ दयाल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
वंचक | - | फसव्या. |
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