न रणभूमि न विलसन
न रणभूमि न विलसन, एकावरी प्रेम न धरि कुरुजन ॥
समप्रीति जरी ख्याति, नातें भगिनीचें तुझें साचें; करिं मनन ॥
समप्रीति जरी ख्याति, नातें भगिनीचें तुझें साचें; करिं मनन ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वर | - | मास्टर कृष्णराव |
नाटक | - | द्रौपदी |
राग / आधार राग | - | भीमपलास |
ताल | - | झपताल |
चाल | - | भरन लगी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
साच | - | खरे, सत्य / पावलाचा किंवा हालचालीचा आवाज. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.