नाहिं दयिता मी
नाहिं दयिता मी ।
नच कुणा पतिची कांता विधियुता ॥
तुटलि सकल माया ।
हटलि विकल काया ।
दिगंता वरिन मी आतां ॥
नच कुणा पतिची कांता विधियुता ॥
तुटलि सकल माया ।
हटलि विकल काया ।
दिगंता वरिन मी आतां ॥
| गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
| संगीत | - | वझेबुवा |
| स्वर | - | |
| नाटक | - | स्वयं-सेवक |
| राग / आधार राग | - | हिंडोल |
| ताल | - | एकताल |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • या गीताचे मूळ ध्वनीमूद्रण आमच्याकडे नाही. आपल्याकडे असल्यास, कृपया aathavanitli.gani@gmail.com या इ-पत्त्यावर पाठवा. ते रसिकांना ऐकण्यासाठी इथे उपलब्ध करून दिले जाईल. |
| कांता | - | पत्नी. |
| दयित | - | प्रिय, आवडता. |
| विकल | - | विव्हल. |
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