नवरंग उधळीत ये नभा
          नवरंग उधळीत ये नभा, नवतेज उजळीत ये नभा
तम हा निशेचा संपवी, नैराश्य अवघे लोपवी
आशाघनातून तृप्तीच्या धारा निरंतर वर्षवी
आनंदमय नवचेतना देईल सकला नवप्रभा
तव छत्र देते साउली, होते जगाची माउली
श्रमिकांस वा धनिकांसही माया सदा तू लाविली
तुलना नसे विस्तीर्ण तव हृदयातल्या त्या सौरभा
विश्वास तू विश्वास दे, शांती-सुखाचा श्वास दे
भयदंभ काढुनी टाकण्या अद्वैत भास्कर येऊ दे
तुझिया अलौकिक स्वागता उत्तुंग हिमगीरी हा उभा
          तम हा निशेचा संपवी, नैराश्य अवघे लोपवी
आशाघनातून तृप्तीच्या धारा निरंतर वर्षवी
आनंदमय नवचेतना देईल सकला नवप्रभा
तव छत्र देते साउली, होते जगाची माउली
श्रमिकांस वा धनिकांसही माया सदा तू लाविली
तुलना नसे विस्तीर्ण तव हृदयातल्या त्या सौरभा
विश्वास तू विश्वास दे, शांती-सुखाचा श्वास दे
भयदंभ काढुनी टाकण्या अद्वैत भास्कर येऊ दे
तुझिया अलौकिक स्वागता उत्तुंग हिमगीरी हा उभा
| गीत | - | शांताराम नांदगांवकर | 
| संगीत | - | कनू घोष | 
| स्वर | - | आकाशवाणी गायकवृंद | 
| गीत प्रकार | - | स्फूर्ती गीत | 
| चेतना | - | जीवनशक्ती / अंत:प्रेरणा / स्फूर्ती / ऊर्जा. | 
| तम | - | अंधकार. | 
| दंभ | - | ढोंग, सोंग. | 
| द्वैत | - | जोडी / भेदभाव / देह व जीव वेगळे मांडणे / एका वनाचे नाव. | 
| भास्कर | - | सूर्य. | 
| सौरभ | - | सुगंध / कीर्ती. | 
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