नयनें लाजवित बहुमोल रत्ना
नयनें लाजवित बहुमोल रत्ना ।
जणुं धैर्यधर धरित धनदासम धना ॥
नमवी पहा भूमि हा चालतांना ।
सुचवित तिज तूंचि मजपुढें निर्धना ॥
जणुं धैर्यधर धरित धनदासम धना ॥
नमवी पहा भूमि हा चालतांना ।
सुचवित तिज तूंचि मजपुढें निर्धना ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ पं. कुमार गंधर्व ∙ आशा खाडिलकर ∙ इंदिराबाई खाडिलकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | यमनकल्याण, झिंझोटी |
| ताल | - | झंपा |
| चाल | - | इतना संदेसा मोरा |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, नयनांच्या कोंदणी |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












बालगंधर्व