ॐ नमो भगवते
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ते'
मंत्र जपताचि हा दुरित तम भंगते
जेथ ना हीनता, मलीनता ना जिथे
दिव्य लोकी अशा अढळपद लाभते !
मंत्र जपताचि हा दुरित तम भंगते
जेथ ना हीनता, मलीनता ना जिथे
दिव्य लोकी अशा अढळपद लाभते !
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | गोविंदराव अग्नि |
स्वर | - | विश्वनाथ बागूल |
नाटक | - | चमकला धृवाचा तारा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, प्रार्थना |
तम | - | अंधकार. |
दुरित | - | पाप. |
वासुदेव | - | श्रीकृष्ण / मोरांच्या पिसांची उंच टोपी घालून भिक्षा मागणारी एक जात. |