पाही सदा मी परि केविं
पाही सदा मी परि केविं नाथ भासे मला 'नवोनव' ॥
स्वरूपगर्वा करि अदय धावा ।
दे भूषणसहाया हतबलहृदया, डाव हा मांडिला ॥
स्वरूपगर्वा करि अदय धावा ।
दे भूषणसहाया हतबलहृदया, डाव हा मांडिला ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वर | - | नीलाक्षी जुवेकर |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | गारा, पिलू |
| ताल | - | दादरा |
| चाल | - | पानी भरेली कोन |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| केविं | - | कशा प्रकारे. |
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नीलाक्षी जुवेकर