परिचित जो या रसिकजनां
परिचित जो या रसिकजनां त्या कवि गोविंदें रचिलें ।
शारदाख्य नवनाटक गानीं, विविधगुणीं जें खचिलें ।
प्रयोगरूपें तें । रुचेल यांना का कांते? ॥
शारदाख्य नवनाटक गानीं, विविधगुणीं जें खचिलें ।
प्रयोगरूपें तें । रुचेल यांना का कांते? ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | |
नाटक | - | संगीत शारदा |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |