प्रभुपदपंकजलीनां
प्रभुपदपंकजलीनां, कवींना ।
बंधन कीं स्थलकालहि साहेना ॥
नच धना, नच मदांधा जनां । कविजन मानी ।
सेवोनी राघव-नाम-सुधा करीती सुगाना ॥
बंधन कीं स्थलकालहि साहेना ॥
नच धना, नच मदांधा जनां । कविजन मानी ।
सेवोनी राघव-नाम-सुधा करीती सुगाना ॥
| गीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वर | - | वामनराव सडोलीकर |
| नाटक | - | तुलसीदास |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| सुधा | - | अमृत / सरळ, योग्य मार्गाने जाणारा. |
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वामनराव सडोलीकर