प्रभुपदास नमित दास
प्रभुपदास नमित दास मंगलमात्रास्पदा वरदा सदवनिं लव
यदवलंब विलंब न करि हरि दुरिता सौख्य वितरि ॥
सारस्वतचरणकमल । दलिं विहरत कविमंडल ।
दुर्लभ तें दिव्य स्थळ । पंकनिरत ।
राम रमत । धन्य तरी ॥
यदवलंब विलंब न करि हरि दुरिता सौख्य वितरि ॥
सारस्वतचरणकमल । दलिं विहरत कविमंडल ।
दुर्लभ तें दिव्य स्थळ । पंकनिरत ।
राम रमत । धन्य तरी ॥
गीत | - | गोविंदाग्रज |
संगीत | - | किर्लोस्कर नाटक मंडळी |
स्वर | - | रामदास कामत, प्रकाश घांग्रेकर, भालचंद्र पेंढारकर, अरविंद पिळगांवकर |
नाटक | - | संगीत पुण्यप्रभाव |
राग | - | केदार |
चाल | - | सरस सीस मुगुट मोर |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • नांदी. |
अवलंब | - | आश्रय, आधार. |
निरत | - | अनुरक्त. |
पंक | - | चिखल. |
लव | - | सूक्ष्म. |