प्रणया नवरुचि देतां
प्रणया नवरुचि देतां । हा विरह रुचिर गमला ।
विरह पीडिता । तृषित मना ॥
मजसम मधुपा । तूं गमसि कमला ॥
विरह पीडिता । तृषित मना ॥
मजसम मधुपा । तूं गमसि कमला ॥
| गीत | - | वसंत शांताराम देसाई |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
| स्वर | - | गंगाधर लोंढे |
| नाटक | - | प्रेमसंन्यास |
| राग / आधार राग | - | भीमपलास |
| ताल | - | एकताल |
| चाल | - | देरेना देरेना |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| तृषा | - | तहान. |
| मधुप | - | भुंगा, भ्रमर. |
| रुचिर | - | मोहक, सुंदर. |
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गंगाधर लोंढे