प्रेमभावें जीव जगिं या
          प्रेमभावें जीव जगिं या नटला । एकचि रस प्याला ॥
नसती भिन्न रस हे, शृंगार राजा नवदल ल्याला ॥
सकला किरण रंगा दावी इंद्रधनुषीं जननयनाला ॥
          नसती भिन्न रस हे, शृंगार राजा नवदल ल्याला ॥
सकला किरण रंगा दावी इंद्रधनुषीं जननयनाला ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर | 
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे | 
| स्वर | - | खाँसाहेब अब्दुल करीम खाँ | 
| नाटक | - | मानापमान | 
| राग / आधार राग | - | आसावरी, जौनपुरी | 
| ताल | - | त्रिवट | 
| चाल | - | हूं तो जय्ये | 
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत | 
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 खाँसाहेब अब्दुल करीम खाँ