प्रेम केलें काय हा झाला
प्रेम केलें काय हा झाला गुन्हा?
अंतरीची भावना सांगूं कुणा?
भोगिली शिक्षा पुरी मी प्रीतिची
साहवेना ती सुखाची वेदना
साक्ष द्याया बोलके झाले मुके
जीभ चाउनी टळे का वंचना !
अंतरीची भावना सांगूं कुणा?
भोगिली शिक्षा पुरी मी प्रीतिची
साहवेना ती सुखाची वेदना
साक्ष द्याया बोलके झाले मुके
जीभ चाउनी टळे का वंचना !
| गीत | - | राजा बढे |
| संगीत | - | पं. कुमार गंधर्व |
| स्वर | - | पं. कुमार गंधर्व |
| राग / आधार राग | - | मिश्र पहाडी |
| गीत प्रकार | - | भावगीत |
टीप - • काव्य रचना- १९४१. |
| वंचना | - | फसवणूक. |
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पं. कुमार गंधर्व