प्रेम वरदान स्मर सदा
प्रेम वरदान ।
स्मर सदा ।
असे भवा हेचि वरदान ॥
स्नेह सुगंधित करि संसारा
दाहि गरल वैर अभिमान ॥
स्मर सदा ।
असे भवा हेचि वरदान ॥
स्नेह सुगंधित करि संसारा
दाहि गरल वैर अभिमान ॥
गीत | - | कुसुमाग्रज |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | रामदास कामत |
नाटक | - | ययाति आणि देवयानी |
राग | - | गावती |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |
गरल(ळ) | - | विष. |
दहन | - | अग्निसंस्कार. |
भव | - | संसार. |