रागिणी-मुखचंद्रमा
रागिणी-मुखचंद्रमा
उजळिं हृदयीं पूर्णिमा
कोपतां खुलतो कसा
वदन-शशिचा लालिमा !
रूप बघुनी लज्जिता
होति पूर्वा-पश्चिमा
उजळिं हृदयीं पूर्णिमा
कोपतां खुलतो कसा
वदन-शशिचा लालिमा !
रूप बघुनी लज्जिता
होति पूर्वा-पश्चिमा
| गीत | - | विद्याधर गोखले |
| संगीत | - | छोटा गंधर्व |
| स्वर | - | प्रसाद सावकार |
| नाटक | - | सुवर्णतुला |
| राग / आधार राग | - | नारायणी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| शशी | - | चंद्र. |
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प्रसाद सावकार