रजनिनाथ हा नभीं उगवला
रजनिनाथ हा नभीं उगवला ।
राजपथीं जणुं दीपचि गमला ॥
नवयुवतीच्या निटिलासम किति ।
विमल दिसे हा ग्रहगण भोंवतीं ।
शुभ्रकिरण घन तिमिरीं पडती ।
पंकीं जेविं पयाच्या धारा ॥
राजपथीं जणुं दीपचि गमला ॥
नवयुवतीच्या निटिलासम किति ।
विमल दिसे हा ग्रहगण भोंवतीं ।
शुभ्रकिरण घन तिमिरीं पडती ।
पंकीं जेविं पयाच्या धारा ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | छोटा गंधर्व |
| नाटक | - | मृच्छकटिक |
| राग / आधार राग | - | दरबारी कानडा |
| ताल | - | त्रिताल |
| गीत प्रकार | - | शब्दशारदेचे चांदणे, नाट्यसंगीत |
| निटिल | - | कपाळ. |
| पंक | - | चिखल. |
| पय | - | पाणी / दूध. |
| विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
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छोटा गंधर्व