रतिहुन सुंदर मदन-मंजिरी
रतिहुन सुंदर मदन-मंजिरी ! मदनाचें वरदान तुला ॥
ललित कोमला तव सुंदरता लाजविते मंदार-फुलां ।
बघुनि तुला गगनांत खंगते कलेकलेनें चंद्रकला ।
कळे न मजला, वृथा फुलांचा नाद कशाला हवा तुला? ॥
ललित कोमला तव सुंदरता लाजविते मंदार-फुलां ।
बघुनि तुला गगनांत खंगते कलेकलेनें चंद्रकला ।
कळे न मजला, वृथा फुलांचा नाद कशाला हवा तुला? ॥
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | छोटा गंधर्व |
स्वर | - | प्रसाद सावकार |
नाटक | - | सुवर्णतुला |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
मदनमंजिरी | - | सुंदरी. |
ललित | - | मोहक / रमणीय. |