रवि मी हा चंद्र कसा
रवि मी, हा चंद्र कसा मग मिरवितसे लावित पिसें ॥
त्या जें न साधे गगनीं, गमे तें साधेचि तव या वदनीं ।
अबलाबल नव हें भासे ॥
त्या जें न साधे गगनीं, गमे तें साधेचि तव या वदनीं ।
अबलाबल नव हें भासे ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
| स्वराविष्कार | - | ∙ मास्टर दीनानाथ ∙ आशा भोसले ∙ अर्चना कान्हेरे ∙ सुरेश वाडकर ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ शरद जांभेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
| नाटक | - | मानापमान |
| राग / आधार राग | - | तिलककामोद |
| ताल | - | दीपचंदी |
| चाल | - | माई पीतमवीन |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| पिसे | - | वेड. |
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मास्टर दीनानाथ