रूप बली तो नरशार्दुल
रूप बली तो नरशार्दुल साचा, क्षणीं विनाशित रिपुभाव मनिचा ॥
खला देखी, मग भूल फेंकी, नयन-भाषण मनासि जिंकी,
क्षणी विनाशित स्वभाव रिपुचा ॥
खला देखी, मग भूल फेंकी, नयन-भाषण मनासि जिंकी,
क्षणी विनाशित स्वभाव रिपुचा ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ माणिक वर्मा ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | स्वयंवर |
राग | - | काफी |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | कोन तुम्हासि तुम फेकत |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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