संथ वाहते कृष्णामाई
संथ वाहते कृष्णामाई
तीरावरल्या सुखदुःखांची जाणीव तिजला नाही
नदी नव्हे ही निसर्ग-नीती
आत्मगतीने सदा वाहती
लाभहानीची लवही कल्पना नाही तिज ठायी
कुणी नदीला म्हणती माता
कुणी मानिती पूज्य देवता
पाषाणाची घडवुन मूर्ती पूजित कुणी राही
सतत वाहते उदंड पाणी
कुणी न वळवुनी नेई रानी
आळशास ही व्हावी कैसी गंगा फलदायी?
तीरावरल्या सुखदुःखांची जाणीव तिजला नाही
नदी नव्हे ही निसर्ग-नीती
आत्मगतीने सदा वाहती
लाभहानीची लवही कल्पना नाही तिज ठायी
कुणी नदीला म्हणती माता
कुणी मानिती पूज्य देवता
पाषाणाची घडवुन मूर्ती पूजित कुणी राही
सतत वाहते उदंड पाणी
कुणी न वळवुनी नेई रानी
आळशास ही व्हावी कैसी गंगा फलदायी?
| गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
| संगीत | - | दत्ता डावजेकर |
| स्वर | - | सुधीर फडके |
| चित्रपट | - | संथ वाहते कृष्णामाई |
| राग / आधार राग | - | वृंदावनी सारंग |
| गीत प्रकार | - | चित्रगीत |
| उदंड | - | पुष्कळ. |
| ठाय | - | स्थान, ठिकाण. |
| लव | - | सूक्ष्म. |
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सुधीर फडके