सप्तसूरांत रंगले जीवन
सप्तसूरांत रंगले जीवन
तनमन हरले भान विसरले
लय लागे नादात
उठो वादळे किती भयंकर
जाळेल वन्ही जीवन सुंदर
स्वरगंगेचा ओघ करील परि
पावन जीवन शांत
तनमन हरले भान विसरले
लय लागे नादात
उठो वादळे किती भयंकर
जाळेल वन्ही जीवन सुंदर
स्वरगंगेचा ओघ करील परि
पावन जीवन शांत
गीत | - | वसंत गात |
संगीत | - | माणिकराव ठाकुरदास |
स्वर | - | पं. उदयराज गोडबोले |
नाटक | - | बैजू |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |