सौख्य पूर्ण देवो तुम्हां
सौख्य पूर्ण देवो तुम्हां श्रीगिरिजेचा कांत तो ॥
केश धवल हे विधुकांतीनें । किंवा कांते भस्मलेपनें ।
नसे ग्रस्त मी वार्धक्यानें । असे हंसत जो सांगतो ॥
केश धवल हे विधुकांतीनें । किंवा कांते भस्मलेपनें ।
नसे ग्रस्त मी वार्धक्यानें । असे हंसत जो सांगतो ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | स्वर कोणाचा(चे) माहित असल्यास संपर्क करा. |
नाटक | - | संगीत शारदा |
राग | - | बहार |
ताल | - | त्रिताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • नांदी. |
कांत | - | पती. |
कांति | - | तेज, प्रभा / वर्ण. |
विधु | - | चंद्र. |