शंभो शिवहर करुणाकर
शंभो शिवहर, करुणाकर, हे विश्वेशा, गौरिप्रियकर ॥
अज्ञानी बलहीन आम्ही ।
शरणागत तव चरणां धरि शिरिं करुणयुत कर ॥
मार्गी आम्हां सर्वपरी ।
हे शशिमौली, तूं सांभाळी, जय काळीश्वर ॥
अज्ञानी बलहीन आम्ही ।
शरणागत तव चरणां धरि शिरिं करुणयुत कर ॥
मार्गी आम्हां सर्वपरी ।
हे शशिमौली, तूं सांभाळी, जय काळीश्वर ॥
| गीत | - | गो. ब. देवल |
| संगीत | - | गो. ब. देवल |
| स्वर | - | |
| नाटक | - | शारदा |
| ताल | - | त्रिताल |
| चाल | - | वंदनै सुरवृंदाचित्तपद |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
टीप - • या गीताचे मूळ ध्वनीमूद्रण आमच्याकडे नाही. आपल्याकडे असल्यास, कृपया aathavanitli.gani@gmail.com या इ-पत्त्यावर पाठवा. ते रसिकांना ऐकण्यासाठी इथे उपलब्ध करून दिले जाईल. |
| शशीमौळी (चंद्रमौली) | - | शंकर. |
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