सोडि नच मजवरि
सोडि नच मजवरि वचनखरतरशरां ।
दग्ध करिसी तये हाय । मम अंतरा ॥
स्मृति काय पूर्विची । लोपली आजची ।
केवि तव मति रची । कल्पना भयकरा ॥
दग्ध करिसी तये हाय । मम अंतरा ॥
स्मृति काय पूर्विची । लोपली आजची ।
केवि तव मति रची । कल्पना भयकरा ॥
| गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
| संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, बाई सुंदराबाई |
| स्वर | - | अजितकुमार कडकडे |
| नाटक | - | एकच प्याला |
| राग / आधार राग | - | मालकंस |
| ताल | - | झपताल |
| चाल | - | त्याग वाटे सुलभ |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| केविं | - | कशा प्रकारे. |
| खर | - | कठिण (संस्कृत) / गाढव (मराठी). |
| दग्ध | - | जळालेले, होरपळलेले. |
| मति | - | बुद्धी / विचार. |
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अजितकुमार कडकडे