सुखद क्षण हा भासे मला
सुखद क्षण हा भासे मला
हर्षास आता नाही तुला
मी पट्टराणी, प्रियदर्शनी
भाग्यास आली द्युति कांचनी
मधुर गंध लाभे फुला
माझी अयोध्या, मीच स्वामिनी
श्रीराम माझे स्वामी गुणी
सुभग आज हा सोहळा
हर्षास आता नाही तुला
मी पट्टराणी, प्रियदर्शनी
भाग्यास आली द्युति कांचनी
मधुर गंध लाभे फुला
माझी अयोध्या, मीच स्वामिनी
श्रीराम माझे स्वामी गुणी
सुभग आज हा सोहळा
| गीत | - | शांताराम नांदगांवकर |
| संगीत | - | अशोक पत्की |
| स्वर | - | ज्योत्स्ना हर्डिकर |
| नाटक | - | कैकेयी |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत, राम निरंजन |
टीप - • या 'कैकेयी' नाटकाच्या लेखिका ललिता बापट आहेत. 'कैकयी' हे वि. वा. शिरवाडकरांचे जे नाटक आहे, ते वेगळे. |
| कांचन | - | सोने. |
| तुला | - | उपमा. |
| द्युति | - | प्रकाश. |
| सुभग | - | दैवी / सुंदर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.












ज्योत्स्ना हर्डिकर