सुखकर हा आवाज भजनाचा
सुखकर हा आवाज भजनाचा ।
कानीं येतां, नारद दिसतां, डोलत कानन स्वर्गचि साचा ॥
विचार सार उसळत फार; वर्णन-कीर्तन सुखवी वाचा ॥
कानीं येतां, नारद दिसतां, डोलत कानन स्वर्गचि साचा ॥
विचार सार उसळत फार; वर्णन-कीर्तन सुखवी वाचा ॥
| गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
| संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
| स्वर | - | गंगाधर लोंढे |
| नाटक | - | सावित्री |
| राग / आधार राग | - | वसंत |
| ताल | - | त्रिवट |
| चाल | - | पट भिजली |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| कानन | - | अरण्य, जंगल. |
| साच | - | खरे, सत्य / पावलाचा किंवा हालचालीचा आवाज. |
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गंगाधर लोंढे