सूरगंगा मंगला
सूरगंगा मंगला
संगमीं तिचिया महेश्वर रंगला
पाहतां त्या रागिणींची नर्तनें
ऐकतां करताल-चंचल-कंकणे
खिन्नतेचा भार सारा भंगला
संगमीं तिचिया महेश्वर रंगला
पाहतां त्या रागिणींची नर्तनें
ऐकतां करताल-चंचल-कंकणे
खिन्नतेचा भार सारा भंगला
| गीत | - | विद्याधर गोखले |
| संगीत | - | वसंत देसाई |
| स्वर | - | पं. राम मराठे |
| नाटक | - | जय जय गौरी-शंकर |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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पं. राम मराठे