वदनीं घर्मजलाला
वदनीं घर्मजलाला । पुसुनि पुसुनि कर शिणला ।
श्वासभरित उर जाहला । ये रक्तपणा गाला ॥
श्वासभरित उर जाहला । ये रक्तपणा गाला ॥
| गीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| संगीत | - | अण्णासाहेब किर्लोस्कर |
| स्वर | - | मास्टर दीनानाथ |
| नाटक | - | सौभद्र |
| गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
| घर्म | - | घाम. |
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मास्टर दीनानाथ