विकल मन आज झुरत
विकल मन आज झुरत असहाय !
नाही मज चैन, क्षण क्षण झरति नयन
कोणा सांगू?
ही चांदरात, नीज नच त्यात
विरह सखि मी कुठवर साहू?
नाही मज चैन, क्षण क्षण झरति नयन
कोणा सांगू?
नाही मज चैन, क्षण क्षण झरति नयन
कोणा सांगू?
ही चांदरात, नीज नच त्यात
विरह सखि मी कुठवर साहू?
नाही मज चैन, क्षण क्षण झरति नयन
कोणा सांगू?
गीत | - | शान्ता शेळके |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | बकुळ पंडित |
नाटक | - | हे बंध रेशमाचे |
राग | - | सरस्वती |
गीत प्रकार | - | मना तुझे मनोगत, नाट्यसंगीत, नयनांच्या कोंदणी |
विकल | - | विव्हल. |