वितरि प्रखर तेजोबल
वितरि प्रखर तेजोबल । करि जन समरनिरत ।
हरुनि दयाल मोहजाल ॥
करूनि दया । ने विलया । हा स्वदेश-नाश-काल ॥
हरुनि दयाल मोहजाल ॥
करूनि दया । ने विलया । हा स्वदेश-नाश-काल ॥
गीत | - | वीर वामनराव जोशी |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | मास्टर दीनानाथ |
नाटक | - | संगीत रणदुंदुभि |
राग | - | तिलककामोद |
ताल | - | एकताल |
चाल | - | परमपुरुषनारायण |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |