येतिल कधिं यदुवीर
येतिल कधिं यदुवीर, सखये ।
मानस होत अधीर ॥
कटु वदलें मी, रुसवा केला
म्हणुनि जिवाचा जिवलग गेला
सोडूनि हें मंदिर ॥
विरहाचा वैशाख तापला
शांत सुशीतल चंद्र न आला
कोठें धीर समीर? ॥
मानस होत अधीर ॥
कटु वदलें मी, रुसवा केला
म्हणुनि जिवाचा जिवलग गेला
सोडूनि हें मंदिर ॥
विरहाचा वैशाख तापला
शांत सुशीतल चंद्र न आला
कोठें धीर समीर? ॥
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | छोटा गंधर्व |
स्वर | - | जयमाला शिलेदार |
नाटक | - | सुवर्णतुला |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
मानस | - | मन / चित्त / मानस सरोवर. |