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योग्य न प्रेम वर्णना

योग्य न प्रेम वर्णना ।
वाणी, मती-मनसासह, प्रेम-धाम गांठीना ॥

ब्रह्म सत्य मज प्रेमा, बहु रूपा, बहु नामा घेईना ।
समता ती एक एक भगवाना ॥