बोला अमृत बोला
बोला । अमृत बोला ।
शुभसमयाला, गोड गोड ॥
दिपले पाहुनिया । देवही हर्ष भरे ।
ढाळुनीया सुमने वदती, धन्य धन्य धन्य ॥
शुभसमयाला, गोड गोड ॥
दिपले पाहुनिया । देवही हर्ष भरे ।
ढाळुनीया सुमने वदती, धन्य धन्य धन्य ॥
गीत | - | मो. ग. रांगणेकर |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वर | - | ज्योत्स्ना भोळे |
नाटक | - | कुलवधू |
राग | - | भैरवी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
सुमन | - | फूल. |