चढला रवि तापा
चढला रवि तापा तरूप्रिय झाला ॥
कोप-शाप निज वाणी करो कच ।
तरूहि पिताचि गमो मजला ॥
कोप-शाप निज वाणी करो कच ।
तरूहि पिताचि गमो मजला ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वर | - | हिराबाई बडोदेकर |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | सारंग |
ताल | - | केरवा |
चाल | - | जमुनातट |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कच | - | केस / बृहस्पतीपुत्र. हा पुष्कळ दिवस शुक्राचार्यांजवळ राहून संजीवनी विद्या शिकला. शुक्राचार्यांच्या कन्येचे, देवयानीचे, याच्यावर प्रेम होते. |
तरुवर | - | तरू / झाड. |
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