छळि जीवा दैवगती अती
छळि जीवा दैवगती अती ॥
शिरिं घाली घाव कुठार ती
शशि-सूर्य गगनिं प्रकाशती
परि राहु-केतु त्यां ग्रासती
जन जगी तशीं दु:खे साहती ॥
शिरिं घाली घाव कुठार ती
शशि-सूर्य गगनिं प्रकाशती
परि राहु-केतु त्यां ग्रासती
जन जगी तशीं दु:खे साहती ॥
गीत | - | नागेश जोशी |
संगीत | - | छोटा गंधर्व |
स्वर | - | छोटा गंधर्व |
नाटक | - | देवमाणूस |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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