घुमत ध्वनि कां हा
घुमत ध्वनि कां हा । गे प्रणयिनि मम मनी ।
गा प्रिया जा राया । अमरपद घ्याया समरि या ॥
नाचत पूर्वा जाया जिवाची । उधळि स्मितरंग करि गुंग ।
रविला प्रिय रणिं न्हाया ॥
गा प्रिया जा राया । अमरपद घ्याया समरि या ॥
नाचत पूर्वा जाया जिवाची । उधळि स्मितरंग करि गुंग ।
रविला प्रिय रणिं न्हाया ॥
गीत | - | य. ना. टिपणीस |
संगीत | - | वझेबुवा |
स्वर | - | शरद जांभेकर |
नाटक | - | शिक्काकट्यार |
राग | - | बागेश्री |
ताल | - | त्रिवट |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |