जगि आभास हा दाविला
जगि आभास हा दाविला । वितराग तो झणि मालविला ।
उगाचि विकास दुरावला । धादांत वेदांत खुळावला ॥
करगत हरविल झळकत मिरविल अविरत दिपविल
प्रतिभा अमला ॥
उगाचि विकास दुरावला । धादांत वेदांत खुळावला ॥
करगत हरविल झळकत मिरविल अविरत दिपविल
प्रतिभा अमला ॥
गीत | - | भा. वि. वरेरकर |
संगीत | - | सुरेशबाबू माने |
स्वर | - | हिराबाई बडोदेकर |
नाटक | - | जागती ज्योत |
राग | - | कर्नाटकी तोडी |
ताल | - | त्रिताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
झणी | - | अविलंब. |