जय शंकरा गंगाधरा
जय शंकरा! गंगाधरा!
गौरीहरा, गिरिजावरा!
विपदाहरा, शशिशेखरा!
विष प्राशुनी जगतास या,
दिधली सुधा करूणाकरा!
गौरीहरा, गिरिजावरा!
विपदाहरा, शशिशेखरा!
विष प्राशुनी जगतास या,
दिधली सुधा करूणाकरा!
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे |
स्वराविष्कार | - |
∙
पं. राम मराठे
∙ पं. राम देशपांडे ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | मंदारमाला |
राग | - | अहिर भैरव |
ताल | - | त्रिताल |
गीत प्रकार | - | नाट्यगीत |