प्रेमसेवा शरण
प्रेमसेवा शरण, सहज जिंकी मला
मीच चुरीन चरण, दास हो मी तुला
मन तोडि रणबंध, लागे तुझा छंद
किर्ती हा मज चांद, तव पदी वाहिला
मीच चुरीन चरण, दास हो मी तुला
मन तोडि रणबंध, लागे तुझा छंद
किर्ती हा मज चांद, तव पदी वाहिला
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गोविंदराव टेंबे |
स्वराविष्कार | - | ∙ मास्टर दीनानाथ ∙ पं. वसंतराव देशपांडे ∙ पं. जितेंद्र अभिषेकी ∙ पं. भीमसेन जोशी ∙ प्रभाकर कारेकर ∙ अजितकुमार कडकडे ∙ सुरेश वाडकर ∙ आशा भोसले ∙ आशा खाडिलकर ∙ खाँसाहेब अब्दुल करीम खाँ ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | संगीत मानापमान |
राग | - | मुलतानी, मधुवंती |
गीत प्रकार | - | नमन नटवरा |
टीप - • मूळ चाल- गोविंदराव टेंबे, स्वर- खाँसाहेब अब्दुल करीम खॉं, राग- भीमपलास. |