ऋतुराज आज वनि आला
ऋतुराज आज वनि आला, ऋतुराज आज वनि आला !
नव सुमनांचा, नव कलिकांचा बहर घेउनी आला !
कुंज कुंज अलि-पुंज गुंजने बघ झंकारित झाला !
सुरस रागिणी नव प्रणयाची कोकिळ छेडत आला !
नवथर सुंदर शीतल निर्झर त्यात रंगुनी गेला !
नव सुमनांचा, नव कलिकांचा बहर घेउनी आला !
कुंज कुंज अलि-पुंज गुंजने बघ झंकारित झाला !
सुरस रागिणी नव प्रणयाची कोकिळ छेडत आला !
नवथर सुंदर शीतल निर्झर त्यात रंगुनी गेला !
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | पं. राम मराठे, प्रभाकर भालेकर |
स्वर | - | मधुवंती दांडेकर |
नाटक | - | मदनाची मंजिरी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
अलि | - | काळा भुंगा. |
कुंज | - | वेलींचा मांडव. |
नवथर | - | नवीन. |
पुंज | - | समुदाय / झुबका / ढीग. |
सुमन | - | फूल. |